नमस्कार दोस्तों! सबसे पहले आज हम इस लेख में क्या पढ़ने वाले हैं (10 लोकोक्तियाँ और उनके अर्थ) संक्षेप में जान लेते हैं। पढ़ाई के दौरान यदि आपके पास हिंदी विषय होगा तो अपने जरूर पढ़ा होगा लोकोक्तियाँ और कहावतों के बारे में। आज इसी से जुड़े प्रश्नों के जवाब जानेंगे।
लोकोक्तियाँ (कहावत) किसे कहते है ?
कहावत हिंदी भाषा का शब्द है। इसका अर्थ ‘कही हुई बातें’ होता है। इसे अंग्रेजी में ‘Saying’ कहा जाता है। जिस बात को संक्षेप में चमत्कारिक ढंग से कहा जाता है। उसे हम ‘कहावत’ कहते है। कहावत बोलचाल भाषा को रचनात्मक बना देती है। काफी लोग लोकोक्ति और कहावत को एक ही समझ लेते है। परन्तु ये कुछ हद तक सही और कुछ गलत है। इसलिए आज हम कहावत और लोकोक्ति के बीच का अंतर जानेंगे।
लोकोक्ति और कहावत में अंतर
अगर हम उनकी परिभाषा के मद्देनजर देखे तो लोकोक्ति और कहावत दोनों की एक ही परिभाषा होती है। दोनों का मतलब कही हुई बात होती है। बस इनके बीच का अंतर यह है कि जहाँ कहावतें किसी भी व्यक्ति के द्वारा कही होती है और लोकोक्तियाँ किसी विद्वानों व्यक्ति द्वारा कही गई होती है।
कहावतों या लोकोक्तियों की प्रमुख विशेषताएँ
- कहावत एक वाक्य होता है।
- कहावत का रूप कभी भी बदलता नहीं है।
- जिस वाक्य को कहावत मिश्र बोला जाता है उसका एक विशेष अर्थ होता है।
- लोकोक्ति और कहावत में थोड़े शब्दों में बहुत कुछ कह दिया जाता है।
- कहावतें (लोकोक्ति) भाषा का सौन्दर्य बनाती है।
10 लोकोक्तियाँ और उनके अर्थ
हम आज महत्वपूर्ण 20 हिंदी लोकोक्तियों या कहावत (Lokoktiyan in Hindi) के बारे में चित्र सहित तथा उनके अर्थ और वाक्यों में प्रयोग करना सीखेंगे। ये कहावत अधिकतर परीक्षाओं में पूछे जाते हैं।
1. अंधा क्या चाहे दो आंखें।
अर्थ – जरूरत की चीज प्राप्त होना
वाक्य प्रयोग – मैंने अपने पुत्र से कहा की मेरी किताबें छोड़ कर सब कुछ ले जाओ। क्यों की “अंधा क्या चाहे दो आंखें”
2. अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा।
अर्थ – गुणवान और मूर्ख के साथ समान व्यवहार
वाक्य प्रयोग – जब किसी जिले का अधिकारी रिश्वतखोर और मक्कार होने पर धांधली चलती है। इसलिए कहावत कही गई है, “अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा”
3. अंडे सेवे कोई, बच्चे लेवे कोई।
अर्थ – किसी की मेहनत का फल किसी दूसरे हो मिलना
वाक्य प्रयोग – राजू ने काफी मेहनत करके अपने पिता की कंपनी को आगे बढ़ाया, परन्तु राजू के पिता ने पूरी कंपनी उसके भाई रोहित के नाम कंपनी कर दी। ये तो वही कहावत हो गई, “अंडे सेवे कोई, बच्चे लेवे कोई”
4. नाम बड़े और दर्शन छोटे।
अर्थ – जब किसी चीज के लिए प्रसिद्ध हो और उसके कोई गुण न होना
वाक्य प्रयोग – राजू की जितनी मैंने तारीफ सुनी थी, उसे जब मैं मिला तब “नाम बड़े और दर्शन छोटे” निकला।
लोकोक्तियाँ और उनके अर्थ
5. एक अंडा वह भी गंदा।
अर्थ – थोड़ी सी चीज और वह भी कोई काम की नहीं
वाक्य प्रयोग – राजू को एक पार्टी में जाना था। परन्तु उसके पास सिर्फ एक ही जोड़ी कपड़े थे और भी गंदे। .
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6. एक हाथ से ताली नहीं बजती।
अर्थ – लड़ाई अकेले नहीं होती
वाक्य प्रयोग – मोहन और सोहन दोनों की लड़ाई में दोनों की गलती है। क्यों की “एक हाथ से ताली नहीं बजती” है।
7. कर सेवा, खा मेवा
अर्थ – किसी के साथ अच्छाई करोगे तो, आपके साथ भी अच्छा होगा
वाक्य प्रयोग – राजू ने अपने मालिक की बहुत सेवा की थी। तभी मालिक ने उन्हें अपना पूरा राज-पाठ सोप दिया था। कहा जाता है न कि “कर सेवा, खा मेवा”
8. बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद।
अर्थ – ज्ञान की बाते मूर्ख को कभी समझ नहीं आती
वाक्य प्रयोग – राजू को इंग्लिश बिलकुल समझ नहीं आती थी और उसको इंग्लिश भाषा में कुछ समझाना व्यर्थ है। क्यों की “बंदर क्या जाने अदरक का मजा”
9. यह मुंह और मसूर की दल।
अर्थ – अपनी औकात से ज्यादा बड़ी बात करना .
वाक्य प्रयोग – मेरा मित्र मुझसे कहने लगा मैंने आज एक गोली से दो शिकार किया। तो मैंने उससे कहा कि “यह मुंह और मसूर की दाल”
10. रस्सी जल गयी पर ऐंठन न गयी।
अर्थ – सब कुछ नष्ट हो गया फिर भी घमंड करना
वाक्य प्रयोग – राजू को चोरी करते पकड़ लेने पर उसके हाथ-पैर दोनों तोड़ दिये गये थे। परन्तु चोरी करने को अभी भी तैयार है, “रस्सी जल गयी पर ऐंठन न गयी”
11. हराम की कमाई, हराम में गंवाई।
अर्थ – बेईमानी से कमाया गया पैसा, बुरे कामों में लग जाता है
वाक्य प्रयोग – राजू ने अपना सारा पैसा चोरी-चकारी से कमाया था। और पूरा पैसा जुएं में हार गया।
12. मुंह में राम बगल में छुरी।
अर्थ – दिखावटी आचरण
वाक्य प्रयोग – रोहित अन्दर से जितना नालायक है। उतना ही बाहर से अच्छा बनने का ढोंग करता रहता है। इसे ही कहते है “मुंह में राम बगल में छुरी”
13. अपने झोंपड़े की खैर मनाओ।
अर्थ – अपने घर परिवार को देखो
वाक्य प्रयोग – हमें दूसरों के लड़ाई-झगड़े में नहीं पड़ना चाहिए। हमें सिर्फ अपने “अपने झोंपड़े की खैर” मनानी चाहिए।
14. जल में रहकर मगर से बैर।
अर्थ – जिस व्यक्ति ने आपको आश्रय दिया उससे बैर नहीं करना चाहिए, नहीं तो ये भारी पड़ेगा।
वाक्य प्रयोग – राम ने राजू को अपनी कंपनी में काम दिया और राजू ने राम के खिलाफ ही लोगों को भड़काने लगा। उसके बाद राम ने राजू को धक्के मर कर कंपनी से बाहर कर दिया। इसीलिए कहा गया है कि “जल में रहकर मगर से बैर” नहीं करना चाहिए।
15. चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात।
अर्थ – कुछ क्षण के लिए सुख मिलना, उसके बाद दुःख ही दुःख
वाक्य प्रयोग – चार दिन मेहनत करके पैसे कमा लेना “चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात” जैसा होगा। जिससे पूरी जिंदगी नहीं कट जाएगी।
16. काला अक्षर भैंस बराबर
अर्थ – अनपढ़ मनुष्य
वाक्य प्रयोग – राजू के पुत्र को न ही पढ़ना-लिखना आता है, न ही दुनियादारी। इसके लिए पढ़ना-लिखना तो “काला अक्षर भैंस बराबर” जैसे है।
17. का बरखा जब कृसी सुखाने? ; का बरखा जब खेती सूखें?
अर्थ – अवसर निकल जाने के बाद कुछ भी करना व्यर्थ है
वाक्य प्रयोग – जब राम की परीक्षा हो गई तब उसने पढ़ाई शुरू की, तभी कहावत कही गई है “का बरखा जब कृसी सुखाने? ; का बरखा जब खेती सूखें?”
18. कहा राजा भोज कहाँ गंगू तेली।
अर्थ – किसी दो असमान व्यक्ति की तुलना करना
वाक्य प्रयोग – अम्बानी अरबपती है उनसे मध्यम वर्ग के व्यक्ति की तुलना करना बिलकुल “कहा राजा भोज कहाँ गंगू तेली” जैसा होगा।
19. ऊँट के मुंह में जीरा।
अर्थ – किसी चीज का पर्याप्त न हो होना अर्थात अपर्याप्त
वाक्य प्रयोग – पहलवान खली के सामने एक-दो रोटियाँ तो ” ऊँट के मुंह में जीरा” के जैसे है।
20. अधजल गगरी छलकत जाये।
अर्थ – थोड़े पैसे पाकर इतराना वाक्य प्रयोग – राजू ने थोड़े से पैसे कमा कर महल खड़ा करने की बात करने लगा, “अधजल गगरी छलकत जाये”
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