एक जिले में कितने एसडीएम होते हैं (Ek Jile Me Kitne SDM Hote Hain)?

आपने जरूर जिला अधिकारी (DM) की तरह एसडीएम (SDM) के पद के बारे में जरूर सुना होगा। आपको बता दें कि यह जिला के सर्वोच्च पदों में से एक माना जाता है। हर नागरिक को अपने जिला के एसडीएम के बारे में पता होना चाहिए, तो सवाल उठता है कि एक जिले में कितने एसडीएम होते हैं ? या जिले का एसडीएम कौन होता है? या एसडीएम का क्या कार्य होता है?

जब भी हम अपने जिले के शासन व्यवस्था प्रणाली के बारे में बात करते हैं। तो हमारे मन मस्तिष्क में एक सोच उत्पन्न होती है कि आखिर कौन हमारे जिले को सुचारू ढंग से चलाने में अपना अहम योगदान प्रदान करता है?

एक जिले में कितने एसडीएम होते हैं?

सबसे पहले आपको बता दें कि 1 जिले में एक से अधिक एसडीएम हो सकते हैं। मगर जिले में एसडीएम की संख्या कौन निर्धारित करता है और एसडीएम को कैसे चुना जाता है साथ ही आप इस महत्वपूर्ण पद तक कैसे पहुंच सकते हैं इसके बारे में आज का लेख लिखा गया है।

हम आपको बता दें कि किसी भी जिले में एसडीएम के पद के लिए कोई फिक्स आंकड़ा नहीं होता है। एक जिले में 1, 2 या किसी किसी जिले में 4 से 5 से लेकर 10-12 एसडीएम तक भी हो सकते है। यह संख्या वहां के तहसील पर निर्भर होता है। उस जिले में जितने भी तहसील होते हैं उन सारे तहसील में एसडीएम का पद पाया जाता है। SDM, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के बाद का पद है।

एक जिले में कितने एसडीएम होते हैं (Ek Jile Me Kitne SDM Hote Hain)?

जिस प्रकार हमारे जिले के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट का कार्य अपने जिले का प्रशासनिक व्यवस्था प्रणाली को अपने हाथ में रखना होता है। उसी प्रकार से एसडीएम यानी सब डिस्टिक मजिस्ट्रेट का कार्य डिविजनल स्तर पर डीएम के जैसा प्रशासनिक कार्यों का होता है।

जिले को अलग-अलग तहसील में विभाजित किया जाता है हर तहसील या डिवीजन में प्रशासनिक कार्य को संभालना एसडीएम का कार्य होता है। इस तरह एक जिले में एसडीएम की संख्या कितनी होगी यह तहसील पर निर्भर करता है।

यही कारण है कि एसडीएम और डीएम के कार्यों में काफी समानताएं पाई जाती हैं। हम संक्षिप्त भाषा में कहे तो इनका कार्य अपने जिले में प्रशासन व्यवस्था को सुचारू ढंग से चलाना होता है। और अपने जिले के सभी नागरिकों का ध्यान रखना इनका अहम कर्तव्य होता है।

SDM Full Form in Hindi

SDM का फुल फॉर्म Sub Divisional Magistrate होता है।

हम आपको बता दें कि किसी जिले में जो डीएम होता है उसे हम डिस्टिक मजिस्ट्रेट भी कहते हैं । यदि दूसरी भाषा में कहें तो हम डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को जिला अधिकारी के नाम से भी जानते है और एसडीएम को हम हिंदी में सब डिविजनल मजिस्ट्रेट या उप प्रभागीय न्यायधीश के नाम से जानते हैं।

जिले के एसडीएम को कौन चुनता है?

आपको बता दें कि एसडीएम पर एक सरकारी पद है। इसे जिले के सर्वोच्च पदों में से एक माना जाता है। एसडीएम के पद को कोई भी डायरेक्ट नहीं सुन सकता है। इस पद पर विराजमान होने वाले व्यक्ति को विभिन्न प्रतियोगिता से पास होकर आना पड़ता है।

सबसे पहले राज्य सरकार द्वारा गठित पब्लिक सर्विस कमीशन (PCS) की परीक्षा या केंद्र सरकार द्वारा गठित यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) की परीक्षा पास करनी होती है। इसके बाद इंटरव्यू पास करना होता है और साल भर की कड़ी ट्रेनिंग के बाद किसी व्यक्ति को एसडीएम का पद दिया जाता है।

जिले में अलग-अलग एसडीएम होते हैं जो अलग-अलग इलाके में राजनीतिक शांति और शासन व्यवस्था प्रणाली को बरकरार रखने का कार्य करते है। एसडीएम का क्या कार्य होता है और आप इस पद तक कैसे पहुंच सकते हैं इसे समझने के लिए नीचे दी गई जानकारियों को पढ़ें।

एसडीएम को जिले में क्या कार्य करना होता है?

एसडीएम की गिनती और फुल फॉर्म को समझने के बाद आपको एसडीएम के कार्य प्रणाली को भी समझना होगा जिसे नीचे सूचीबद्ध किया गया है –

  • प्रमाण पत्र से संबंधित कागजात का ब्यौरा देना।
  • भूमि से संबंधित कार्यों को देखना अर्थात राजस्व संबंधित कार्य देखना।
  • निर्वाचन के समय चुनाव में सारे कार्यों को पारदर्शिता पूर्ण करवाना।
  • आपातकालीन समय में घटनास्थल पर जाकर पीड़ितों को आश्वासन देना एवं उन्हें सरकार द्वारा उचित व्यवस्था मुहैया करवाना एवं उन्हें उनके जान माल क्षतिपूर्ति हेतु राशि आवंटित करवाना।
  • यदि उनकी सीमा क्षेत्र में दो पक्षों में किसी बात को लेकर विवाद होता है तो उसका निपटारा करना।
  • अतिक्रमण मामले को देखना तथा गलती करने पर सजा देना।

SDM Kaise Bane | एसडीएम कैसे बन सकते हैं?

एसडीएम अर्थात सब डिविजनल मजिस्ट्रेट बनने के लिए निम्न लिखित पाएदानों को पार करना होता है।

  • सबसे पहले आवेदन करता को अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करनी होगी और कोई भी स्ट्रीम से स्नातक की डिग्री हासिल करनी होगी।
  • इसके बाद स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन यानी राज्य लोक सेवा आयोग के द्वारा परीक्षा देकर और उस में उत्तीर्ण होकर एसडीएम पद के लिए अपनी जगह को बना सकते हैं।
  • यूपीएससी द्वारा भी होने वाले प्रतियोगी परीक्षा यानी सिविल सर्विस एक्जाम को पास करके इस पद के लिए अपनी जगह बना सकते हैं।
  • स्टेट पीसीएस या UPSC में अच्छे अंक लाने वाले अधिकारियों को यह पद दिया जाता है।
  • आपको बता दें कि एसडीएम के पद तक प्रमोशन काफी कम होते है। मगर लंबे समय की नौकरी करने के बाद एसडीएम के पद पर प्रमोशन हो जाता है।

SDM Eligibility Criteria | एसडीएम बनने के लिए योग्यता

चाहे एक बहुत ही महत्वपूर्ण पद है जिस पर नियुक्त होने के लिए व्यक्ति को कुछ निर्धारित योग्यताओं पर खरा उतरना होता है जिसे नीचे सूचीबद्ध किया गया है –

एसडीएम बनने के लिए शिक्षण योग्यता

  • एसडीएम बनने के लिए आवेदक को ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करनी होगी।
  • अभी तक किसी भी स्ट्रीम और किसी भी कॉलेज यूनिवर्सिटी से स्नातक की डिग्री हासिल कर सकता है।

एसडीएम बनने के लिए आयु

एसडीएम बनने के लिए आपको PCS या UPSC की परीक्षा पास करनी होगी जिसके लिए कुछ निर्धारित आयु सीमा रखी गई है। आपको बता दें कि हर केटेगरी के लिए न्यूनतम आयु सीमा 21 वर्ष है मगर अधिकतम आयु सीमा अलग-अलग कैटेगरी के अनुसार बदलती रहती है जिसे नीचे सूचीबद्ध किया गया है।

  • जनरल (GEN) कैटेगरी के लिए – अधिकतम आयु सीमा 40 वर्ष है।
  • OBC कैटेगरी के लिए – अधिकतम आयु सीमा 43 वर्ष है।
  • SC/ST के लिए – अधिकतम आयु सीमा 45 वर्ष है।

SDM Exam in Detail | SDM की परीक्षा की जानकारी

आप जान गए हैं कि एसडीएम बनने के लिए न्यूनतम ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए और न्यूनतम उम्र सीमा 21 वर्ष रखी गई है। मगर किस विषय की परीक्षा होती है और उसमें किस तरह के सवाल पूछे जाते हैं इसके बारे में भी समझना आवश्यक है।

इस एग्जाम को देने के लिए मिनिमम मार्क्स की कोई भी रिक्वायरमेंट नहीं होती है। इस पद को पाने के लिए हमें यूपीएससी या स्टेट पीएसएससी की परीक्षा देनी होती है और उनके द्वारा निर्धारित कटऑफ अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी इस पद पर चयनित होते हैं।

इसके एग्जाम में सबसे पहले हमें प्री एक्जाम को क्वालीफाई करना होता है। इस एग्जाम के लिए बोर्ड द्वारा दो पेपर लिया जाता है। जो पूर्ण रूप से वस्तुनिष्ठ होता है और प्रत्येक पेपर 200 नंबर का होता है। इस एग्जाम में माइनस मार्किंग की जाती है। इसमें प्रत्येक पेपर 2 घंटे का होता है।

प्री परीक्षा में क्वालीफाई होने के बाद हमें मेंस परीक्षा देना पड़ता है। मेंस का एक्जाम में कुल 9 पेपर होते हैं। जिसमें दो पेपर प्रत्येक 300 नंबर का होता है और बाकी 7 पेपर 250 नंबर के होते हैं। इनमें प्रत्येक पेपर के लिए 3 घंटे का समय दिया जाता है। जिसमें सारे प्रश्न पत्र सब्जेक्टिव टाइप के होते हैं।

इस परीक्षा में अंग्रेजी और भारतीय भाषा को सिर्फ क्वालीफाई करना होता है। बाकी बचे सारे विषय से मेरिट अंक का निर्धारण किया जाता है। इसके बाद जब हम मेंस भी क्लियर कर जाते हैं। तब हमें इंटरव्यू के लिए उस बोर्ड के चयनित अधिकारियों का सामना करना पड़ता है। जहां पर वह हमसे हमारे विषय से संबंधित प्रश्न पूछते हैं। वही हमारे आसपास हो रही घटनाओं के बारे में भी जानने का प्रयास करते हैं ताकि वह हमारे मानसिक स्थिति के बारे में पूर्ण रूप से पता लगा सके।

अगर हम विषय की बात करें तो इसमें – भारत का इतिहास, भारत का भूगोल एवं विश्व का भूगोल, राजनीति से संबंधित विषय, अर्थव्यवस्था से संबंधित इत्यादि।

आपको बता दें कि इस परीक्षा में चयनित होने के लिए शारीरिक दक्षता कोई मायने नहीं रखती है। जब इन सारी प्रक्रियाओं को अभ्यर्थी सफलता पूर्वक पूर्ण कर लेता है। उसके बाद सफल अभ्यर्थियों को ट्रेनिंग दिया जाता है और वह SDM बन जाता है।

निष्कर्ष : इस लेख में हमने आपको सरल शब्दों में एसडीएम के बारे में बताने का प्रयास किया है। हमने बताया कि 1 जिले में कितना एसडीएम होता है इसके अलावा एसडीएम पद से जुड़ी कुछ अन्य आवश्यक जानकारियों को भी आपके साथ साझा किया गया है।

अगर हमारे द्वारा साझा की गई जानकारियों को पढ़ने के बाद आप इस पद के बारे में अच्छे से समझ पाए हैं तो इसे अपने मित्रों के साथ साझा करें साथ ही अपने सुझाव या किसी भी प्रकार के विचार कमेंट में बताना ना भूलें।

Q : एडीएम या एसडीएम में से कौन ज्यादा ताकतवर है?

Ans : SDM केवल एक राजस्व मंडल या उप-विभाग या उप-जिला के लिए जिम्मेदार है। और, ADM पूरे जिले के लिए जिम्मेदार है।

Q : दिल्ली में कितने एसडीएम हैं?

Ans : दिल्ली में 33 एसडीएम हैं। 11 जिलों को दिल्ली के 33 उप-मंडलों में विभाजित किया गया है, प्रत्येक का नेतृत्व एक उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) करता है।

Q : दिल्ली में एसडीएम का वेतन क्या है?

Ans : नई दिल्ली में SDM का वेतन ₹ 2.6 लाख से ₹ 19.6 लाख के बीच है और औसत वार्षिक वेतन ₹ 3.5 लाख है।