आओ जानें Diwali Par Anuchchhed कैसे लिखा जाता है?

भारत के विभिन्न शिक्षण संस्थानों में दीवाली पर अनुच्छेद (Diwali Par Anuchchhed) लिखने को कहा जाता है। ऐसे में हर विद्यार्थी को दिवाली के संबंध में इतनी जानकारी होनी चाहिए कि वह एक अनुच्छेद लिख सकें। इसलिए अनुच्छेद से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी आज के लेख में आपके समक्ष प्रस्तुत की गई है।

हम आपको बताएंगे कि Diwali Par Anuchchhed कैसे लिखा जाता है और उदाहरण स्वरूप एक दिवाली अनुच्छेद प्रस्तुत भी किया गया है जिसमें दिवाली मनाने की प्रक्रिया और दीवाली मनाने के कारण के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई है।

दीवाली पर अनुच्छेद (Diwali Par Anuchchhed)
Diwali Par Anuchchhed

दिवाली कब मनाते हैं?

दिवाली जैसे महान पर्व को हम प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन काफी धूमधाम से मनाते हैं। हिंदु पंचांग के अनुसार इस वर्ष 2023 में दिवाली 12 नवंबर के दिन मनाई जाएगी। उस दिन सप्ताह के रविवार को शुभ मुहूर्त में 2 बजकर 44 मिनट से इसकी शुरुआत होगी और अगले दिन 13 नवंबर दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर इसकी समाप्ति होगी।

दिवाली कैसे मनाते हैं?

हमारे देश भारत में दिवाली का त्यौहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है दिवाली के दिन हम अपने घरों को एवं पास पड़ोस को अच्छे से साफ सुथरा करते हैं। उस दिन सभी के घरों में मां लक्ष्मी जी पूजा घी के दिए जलाकर काफी धूमधाम से मनाए जाते हैं, पूजा अर्चना की जाती है, और मां लक्ष्मी से धन-संपत्ति यश वैभव प्राप्त करने के लिए प्रार्थना की जाती है।

उसके बाद हम अपने घरों में छत के ऊपर और जगह जगह काफी संख्या में दीप, और मोमबत्तियां जलाते हैं जिससे वातावरण प्रकाशमान होता दिखता है,सभी बच्चे काफी मात्रा में आतिशबाजीया करते हैं और आनंदित होते हैं। उसके बाद हम सभी मिलजुल कर मिठाईयां खाते हैं, और एक दूसरे को बांटते हैं।

दिवाली क्यों मनाते हैं?

यदि धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो उसी दिन भगवान श्रीराम ने दुराचारी अत्याचारी लंकेश रावण जिसने माता सीता का अपहरण चोरी से कर लिया था जोकि नीति विरुद्ध था। वैसे अत्याचारी का वध करके एवं उसका समूल विनाश करके 14 वर्षों की कठिन बनवास के बाद अपनी जन्मभूमि अयोध्या नगरी में सीता और लक्ष्मण सहित लौटे थे।

उनकी आने की खुशी में अयोध्या वासियों ने उनके स्वागत हेतु पूरे अयोध्या नगर में दीप जलाए थे। उसी समय से प्रत्येक वर्ष दीप जलाने की प्रथा बन गई ,और तभी से पूरे भारतवर्ष में दिवाली का त्यौहार मनाया जाने लगा।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यदि दिवाली को देखा जाए तो वैज्ञानिकों का मानना है कि उस समय खेतों में बहुत सारी फसलें लगी हुई रहती हैं। जिसे विभिन्न प्रकार के कीड़े मकोड़े नष्ट कर देते हैं। ऐसे में यदि सभी के घरों में एक ही दिन सरसों के तेल के दीए जलाए जाएंगे तो उनमें से निकलने वाली जो खुशबू होगी, उसके महक से बहुत सारे कीड़े मकोड़े उस दीप के तरफ खींचते हुए चले आएंगे। और उसमें जलकर मर जाएंगे जिससे काफी मात्रा में हम अपने फसलों को उनसे बचाने में कामयाब हो सकते हैं।

Diwali Par Anuchchhed

भारत जोकि पूरे विश्व में त्योहारों के मामले में काफी आगे हैं। यहां पर विभिन्न प्रकार के त्यौहार मनाए जाते हैं। उन्हीं में से एक त्यौहार दीवाली है। जिसे हिंदू काफी धूमधाम से मनाते हैं। यह त्यौहार प्रत्येक वर्ष की भांति कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के अमावस्या के दिन काफी धूमधाम से मनाई जाती है ।

यह पर्व अंधकार पर विजय का पर्व माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष 12 नवंबर 2023 को, दिन रविवार, समय 2 बज कर 44 मिनट से लेकर 13 नवंबर दोपहर 2 बजकर 56 मिनट तक शुभ मुहूर्त में यह पर्व मनाया जाएगा।

भारत में दिवाली जैसे महापर्व को काफी उत्साह पूर्वक मनाया जाता हैं। उस दिन सबके घरों में साफ सफाई करके, घरों को धोकर साम के समय मां लक्ष्मी की पूजा आराधना अपने पूरे परिवार के साथ घी का दीपक जला कर ,फुल, रोरी इन सब से की जाती है, और मां से आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। घरों में बच्चे पटाखे छोड़कर काफी आनंदित होते हैं। एक दूसरे को मिठाइयां खिलाई जाती है ।

बहुत सारे लोगों के द्वारा उस दिन गरीबों में दान दिया जाता है, उस दिन मिट्टी के दीपक मोमबत्तियां पटाखे हाथी घोड़े की मिठाईयां ये सभी कुछ बाटे जाते हैं।जिससे कि वे सभी भी अपने बच्चों के साथ दीवाली जैसे महापर्व को खुशी पूर्वक मना सकें। दिवाली के दिन बाजार में काफी भीड़ दिखाई देती हैं।

उत्तर भारत के लोगो की मान्यता है की इसी दिन श्री राम ने रावण जैसे दुराचारी का वध किया था और अयोध्या वापस आए थे इस खुशी में वहा के लोगो ने दीप जला कर खुशी मनाई थी।

इसी से संबंधित द्वापर युग में श्री कृष्ण ने दुराचारी कंश जो मथुरा का राजा था , और जरासंध जो की मगध सम्राट था इनका वध किया था। इस खुशी में मथुरा और मगध के लोगो ने दीप जला कर खुशी जाहिर की थी।

वही यदि इसका साइंटिफिक रीजन के बारे में बात की जाय तो तो दिवाली के समय मक्खी मच्छर कीट पतंग इन सबकी संख्या काफी तीव्र गति से बढ़ता है, क्युकी कुछ समय पहले बारिश का मौसम होता है। जिनमें ये बहुत तेजी से फैलते हैं।

और साइंस का मानना है की यही वो दिन होता है। जिस दिन काफी संख्या में सरसो के तेल से दीपक सभी के छत पर जलता है, और उसमें से जो गंध निकलता है ,उसके प्रभाव में आकर सभी कीट पतंगे दीपक की और खींचे चले आते हैं ,और उसमें जलकर मर जाते हैं।

2 thoughts on “आओ जानें Diwali Par Anuchchhed कैसे लिखा जाता है?”

  1. नमस्कार दोस्तों मेरा नाम भरत तिवारी है कि मुझे नौकरी की आवश्यकता है

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  2. पता:करबला चौक कोदू होटल बिलासपुर (छःग) निवासी हूँ

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